NCP Political Crisis: कैसे तय होता है किसे मिलेगा पार्टी का सिंबल, जानिए क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम
Ajit Pawar Vs Sharad Pawar, Party Symbol: अजीत पवार और शरद पवार के बीच खुलकर जुबानी जंग हो रही है. दोनों पार्टी के सिंबल पर दावा कर रहे हैं. जानिए कैसे चुनाव आयोग तय करता है कि किसके पास रहेगा पार्टी का सिंबल.
Ajit Pawar Vs Sharad Pawar, Party Symbol: अजीत पवार और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम शरद पवार खुलकर आमने-सामने आ गए हैं. दोनों के बीच सिंबल और पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए आर-पार की जंग हो रही है. वहीं अजीत पवार का दावा है कि उनके साथ लगभग 40 विधायक हैं. अजीत पवार द्वारा बुलाई गई बैठक में 35 विधायक और एमएलसी शामिल हुए थे. वहीं, शरद पवार की बैठक में सात विधायक पहुंचे थे. अजीत पवार ने सिंबल पर दावा जताने के लिए चुनाव आयोग के पास याचिका दाखिल कर दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि एनसीपी का सिंबल किसके पास रहेगा.
Ajit Pawar Vs Sharad Pawar, Party Symbol: इस नियम के तहत होता है फैसला
पार्टी में फूट होने के स्थिति में पार्टियों का सिंबल किसके पास रहेगा इसका फैसला चुनाव आयोग द इलेक्शन सिंबल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर, 1968 के पैरा 15 के तहत करता है. चुनाव आयोग पार्टी में वर्टिकल बंटवारे यानी विधायक, सांसद और संगठन को देखता है. इसके अलावा पार्टी के टॉप कमेटियों और निर्णय लेने वाली बॉडी में किस गुट के कितने पदाधिकारी और सदस्य हैं. आयोग पार्टी के पदाधिकारियों और चुने हुए सासंद, विधायक, एमएलसी के समर्थन के आधार पर चिन्ह देने का फैसला करती है.
Ajit Pawar Vs Sharad Pawar, Party Symbol: फ्रीज भी कर सकता है सिंबल
संगठन के अंदर यदि साफ नहीं हो रहा है कि किस गुट के पास समर्थन है, तो चुनाव आयोग सांसद और विधायकों के बहुमत के आधार पर फैसला करता है. वहीं, यदि चुनाव हो रहे हैं और पार्टी में बगावत हो रही है तो ऐसी परिस्थिति में चुनाव आयोग सिंबल को फ्रीज भी कर सकता है. चुनाव आयोग दोनों गुटों को अलग-अलग अस्थाई पार्टी सिंबल दे सकता है. एनसीपी की मौजूदा परिस्थिति की बात करें तो अजीत पवार गुट 53 में से 40 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहा है. यदि ये दावा सही है तो पार्टी के 75 फीसदी विधायक अजीत पवार के साथ हैं.
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आपको बता दें कि विधानसभा सत्र यदि चल रहा है तो ऐसी परिस्थिति में निर्णय लेने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है. ऐसे में दल बदल कानून भी लागू हो जाता है. एनसीपी की तरह ही जब शिवसेना में बगावत हुई थी तो 55 विधायकों में से 40 विधायक शिंदे गुट के साथ थे. वहीं, चुनाव आयोग के सामने शिंदे गुट ने अपने पक्ष में 76 फीसदी दस्तावेज पेश किए थे.
07:24 PM IST